Saturday, June 21, 2014

हमें भी अब ज़रा सा मुस्कुराना आ गया है

तेरी न में भी हाँ समझना हमें अब आ गया है
तेरे संग होकर हमें हर गम भुलाना आ गया है
जिन्दगी तो बहुत बीती तुम्हारे बिन
अब हर लम्हा तुम्हारे संग बिताना आ गया है
तेरे होने से खुशियाँ ढूंढती हैं अब मेरा पता
मुस्कुराहटों ने घर बनाया है चौखट पे मेरी
तेरी महक मंदिर के धुयें सी पाक है

मेरे बीते दिनों ने कई मौसम हैं देखे
तेरे आने से जीवन में अब बहारों का मौसम है
तेरी तारीफों को शब्दों में पिरोऊँ
या खुद को बिछा दूँ राहों में तेरी


इस सूने जहाँ में बस साथ है तेरा
अब हर पल अहसास है तेरा
तेरे रंग में रंगा है हर सपना मेरा 

तेरे अक्स में पाया है मैंने खुद को
कितना महफूज़ हूँ मैं तेरी इन आँखों में
तेरे होठों की गर्मी में मेरी ये सर्द रातें गुजरती हैं
मेरी साँसों में अब हर पल तुम हो बसी
हमें भी अब ज़रा सा मुस्कुराना आ गया है

Friday, June 6, 2014

मेरे वो पल

अब वक्त ठहरता नहीं मेरे नज़दीक आकर
जाने क्यों नज़रें चुराने लगा है मुझसे
कई बार इसको मिन्नतों से रोका
कई बार तो इसे ज़िद करके भी रोकना चाहा
पर ये तो मिलता है ऐसे जैसे मुझे पहचानता ही नहीं
मैंने इससे अपने ही तो लम्हे वापस मांगे थे
पर ऐसा लगता है जैसे मेरे वो पल
किसी और को दे आया है ये...
उन लम्हों में मेरी यादें हैं,
उनकी एक - एक पर्त में हज़ारों साँसें हैं,
जिनमें किसी का नाम जान बनके बसा था...
हालातों ने उन लम्हों को जला दिया,
और वक्त ने मुझे उनकी राख भी न लौटाई.....
पर लगता है जैसे कि कुछ अब भी बाकी है 
वरना मेरी बेचैनियाँ यूँ इस तरह उन लम्हों को न पुकारतीं
और ये वक्त मुझसे यूँ इस तरह बेरुखाई न करता !!

Thursday, May 15, 2014

निन्ना रानी

निन्ना रानी आ जा
मुझको तू सुला जा
टिक - टिक करती घड़ी निहारूँ
तेरा हाथ पकड़ के तुझे पुकारूँ
अब तो तू आ जा...
भोर - पहर तक ये बादल गरजें
मेरे नन्हें मन को डरायें
तू आके कस ले मुझको अपनी बाहों में
कि फिर न देखूँ मैं चाँद के दाग कोई.…
तू लोरी गाके सुनाती है
तू माँ बनके मुझको सहलाती है
तू कागज़ की एक नांव सही
पर रात की गलियों में साथ निभा
सुबहा तक मुझको पहुंचाती है
तेरे आँचल के नीचे बैठ
मैं भूलूँ दिन भर की थकान
निन्ना रानी अब तो आ जा…
मैं न चाहूँ कोई राजकुमार
तू बस सपनों की सौगात संग में लाये…
 मैं न चाहूँ तू अपने संग
अगले दिन की खुशियों की झलकी लाये…
तू बस आ जा ठण्डी हवा के झोंके लेके,
जिन्हें तू मेरे नंगे पैरों पे उढ़ा जा…
निन्ना रानी आ जा
मुझको तू सुला जा ……

Monday, May 5, 2014

तेरी साँसें बन जाऊँ

इंतज़ार है उस दिन का
जब कोई ढूँढ़ेगा मुझे
तो पायेगा तुझमें,
जब कोई देखेगा मुझे
तो नज़र आओगे तुम
वो दिन एक बार तो आये,
जब मैं होके भी न रहूँ,
जब मैं ढूंढने से भी न मिलूँ,
जब तैयारियाँ करूँ मैं उस जश्न की
जो मेरे गुम हो जाने के नाम पे मने
जब मेरे बिना मेरे अपनों का काफ़िला चले
जब मैं माटी की एक बुत नहीं
तुझमें पहुँचती तेरी साँसें बन जाऊँ !!

Thursday, May 1, 2014

ये वक्त

अपने कंधों पे यादों की गठरी लिये
बढ़ रहा है ये वक्त एक अनजान डगर की ओर
हल्के से मेरा हाथ थामे, मेरे कदमों को राह दिखाता
चल रहा है संग - संग मेरे
हर ओर देखता , न जाने क्या सोचता
कभी - कभी गठरी से कुछ यादें निकाल मुझे दीखाता ,
मुस्कुराता, कुछ कहता भी
अपने आँसू मुझसे छिपाता पर रुकता नहीं,
और मैं रुक जाऊँ न कहीं,
इसलिये मेरे हाथ और मजबूती से थाम लेता !!

Thursday, January 9, 2014

मेरी जिंदगी की ये रात

जाने वो कौन सी सुबह है
जिसके इंतज़ार में मेरी जिंदगी की ये रात है ....
ये रात है कैसी जिसका रंग काला नहीं
इसकी रोशनी में चौंधियाने लगी हैं मेरी आँखें
इसके स्वाभाव में खामोशी नहीं
आवाज़ें इसकी बहरा कर रही हैं मुझे
घड़ी की सुई के संग बढ़ तो रही है ये
पर न जाने क्यों सुबह से नहीं मिल रही है ये रात....

Sunday, October 6, 2013

अब नहीं बदलता मौसम मेरे घर का..

मेरे आंगन में अब बादल नहीं गरजते,
जिन्हें सुनके तुम डर जाया करती थी..
मेरी गली में उड़ती धूल भी अब थम गई है,
जो तुम्हारे पावो को मैला कर दिया करती थी..
मेरी छत पे अब पंछी नहीं आते,
जो सबेरे-सबेरे तुम्हारी नीन्द तोड़,
तुम्हें चिढ़ाते हुये उड़ जाते थे..
सर्दियों में ठंढी हवा के झोंके
अब मेरे घर में नहीं आते,
जो तुम्हारे सफेद गालों को लाल कर जाया करते थे..
मेरे कमरे में अब गर्मी की दोपहर भी नहीं आती,
जो तुम्हारी कमर पे पड़ी पासीने की बूँदों से मेरी नज़र नहीं हटने देती थी..
मुझे खाने में अब मिर्ची तेज़ नहीं लगती,
जिससे मेरी आँखों में आँसू तो आते थे
पर वो बहते तुम्हारी आँखों से थे..
या....हो सकता है, ये सब होता भी हो..
अब तुम जो नहीं, तो ये बातें मुझे पता ही नहीं चलतीं !!