शामें बुझी सी नहीं
मौसम बेरंग नहीं
दिन ये बंजर नहीं
सब कुछ सही है , सब कुछ वहीँ है
फिर क्यूँ लग रहा है सब कुछ बिका हुआ सा है
जैसे हम किसी और के जश्न में सजे हुये खड़े हैं !!
मौसम बेरंग नहीं
दिन ये बंजर नहीं
सब कुछ सही है , सब कुछ वहीँ है
फिर क्यूँ लग रहा है सब कुछ बिका हुआ सा है
जैसे हम किसी और के जश्न में सजे हुये खड़े हैं !!
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