लक्ष्य है लक्ष्यहीन सा
द्रश्य है अद्रश्य सा
पंख हैं कटे हुये
उड़ान है थमी हुई
वक्त है रुका हुआ
हर मार्ग अवरुद्ध है
मगर, अश्रु निर्बाध्य हैं
अंत गतिशील है
विडम्बना अजीब है
तू ही तो कर्डधार था,
जो आज विनाश - रूप है !
द्रश्य है अद्रश्य सा
पंख हैं कटे हुये
उड़ान है थमी हुई
वक्त है रुका हुआ
हर मार्ग अवरुद्ध है
मगर, अश्रु निर्बाध्य हैं
अंत गतिशील है
विडम्बना अजीब है
तू ही तो कर्डधार था,
जो आज विनाश - रूप है !
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