Saturday, August 3, 2013

हम रहें न रहें

कल हम रहें न रहें पर हम होंगे….  
कल मेरे कुछ शब्द किसी की भाषा में होंगे
कल मेरे कुछ सपने किसी की आँखों में होंगे
कल मेरे पंख किसी की उड़ान के साथी होंगे
कल हम किसी की मंजिल की एक ईंट होंगे …
हम साहिल के परिचित नहीं ,
हम तो लहरों के साथी हैं
हम मंजिल को तरसे नहीं ,
हम तो रास्तों के मुसाफिर हैं….
कल हम रहें न रहें पर हम होंगे !!


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