Thursday, August 29, 2013

तुम कभी मेरी जुबां पर न आ जाओ

तुम्हें कागज़ के पन्नों में समेटने की कोशिश है
कलम की स्याही में छुपाने का अरमान है तुमको

इन शब्दों के जाल में तुमको छुपाना है
यादों के घर में तुम्हें रखेंगे कहीं
लेकिन डर है कि कहीं तुम कोई अलफ़ाज़ बनके
मेरी जुबां पे न आ जाओ !!



चुपचाप सी ये रात

रात के बसेरे को हटाती रोशनी की किरड़े …
अँधेरे की चुप्पी को तोड़ती हर ओर की ये चहचआहट …
रह रह कर कह रहे थे मेरे कुछ ठहरते से कदम …
कि मैं रात की इस खामोश हार में शामिल हो जाऊं ,
या दिन के विजय - आगमन का स्वागत करूँ !!


Wednesday, August 21, 2013

जब मिले तुम

स्वप्न - देश में मिले थे तुम
जब छूकर देखा तो बिखर गये
मेरे सपनों का वहम - जाल थे
या ताश का खड़ा मकान थे….

Monday, August 19, 2013

थक गई हूँ मैं

कहीं कोई साहिल नहीं ,
कोई मंज़िल नहीं अब मेरी
कोई अंत नहीं इस राह का
कोई सुबह नहीं इस रात की
पूछते हैं पैर मेरे, कि कौन सा होगा आखरी क़दम.…
कैसे कहूँ, कि एक बहरी डगर पर चल पड़ी हूँ मैं,
जो ये सुनती ही नहीं कि अब थक गई हूँ मैं !!

Wednesday, August 14, 2013

विडम्बना

लक्ष्य है लक्ष्यहीन सा
द्रश्य है अद्रश्य सा
पंख हैं कटे हुये
उड़ान है थमी हुई
वक्त है रुका हुआ
हर मार्ग अवरुद्ध है
मगर, अश्रु निर्बाध्य हैं
अंत गतिशील है
विडम्बना अजीब है
तू ही तो कर्डधार था,
जो आज विनाश - रूप है !  

Saturday, August 3, 2013

हम रहें न रहें

कल हम रहें न रहें पर हम होंगे….  
कल मेरे कुछ शब्द किसी की भाषा में होंगे
कल मेरे कुछ सपने किसी की आँखों में होंगे
कल मेरे पंख किसी की उड़ान के साथी होंगे
कल हम किसी की मंजिल की एक ईंट होंगे …
हम साहिल के परिचित नहीं ,
हम तो लहरों के साथी हैं
हम मंजिल को तरसे नहीं ,
हम तो रास्तों के मुसाफिर हैं….
कल हम रहें न रहें पर हम होंगे !!