अब सबेरा होने को है
रात छंटने लगी है, अब सबेरा होने को है
इस कोहरे में सूरज नहीं दिख रहा तो क्या..
पर अब सबेरा होने को है.....
ऐ पथिक अब तू देर न कर
थाम हाथ अपनी डगर का
बढ़ा कदम एक हौसले का
रात कितनी भी लम्बी क्यों न हो
वो सबेरा रोक पाती नहीं
सूरज कितना भी अलसाया क्यों न हो
वो आकाश का आंचल छोड़ पाता नहीं
ऐ पथिक अब तू देर न कर
थाम हाथ अपनी डगर का
बढ़ा कदम एक हौसले का
तू रुकना नहीं, थमना नहीं
जबतक मंजिल न आए कहीं टिकना नहीं....
इस जीवन - डगर में कौन पूछे कि तूने क्या खोया
सब पूछें कि तूने क्या पाया
लक्ष्य दूर है , सही..
सफ़र मुश्किलों भरा , सही..
मगर , ऐ पथिक अब तू देर न कर
खोने - पाने के उत्तर की परवाह भी न कर
पर खुद से नज़र कभी न चुरा
खुद को बता कि तूने वो पाया जो पाने आया था?
ये न कह कि तूने क्या खोया....
क्योंकि कोई न पूछे कि तूने क्या खोया
सब पूछें की तूने क्या पाया....
सफ़र मुश्किलों भरा
साथी सर्प-डंक सा..
ऐ पथिक तू अकेला ही चल
तू मालिक अपने मन का
तू राही अपनी डगर का
कौन जाने पत्थर में राम है या नहीं
तू विधाता अपनी किस्मत का
कर यकीं खुद पे ज़रा
हौसला कर अकेले बढ़ने का
बस साथ हो तेरे एक कदम से दूसरे कदम का
बढ़ चल ज़रा , अब रुक नहीं
ऐ पथिक अब तू देर न कर...........
रात छंटने लगी है, अब सबेरा होने को है
इस कोहरे में सूरज नहीं दिख रहा तो क्या..
पर अब सबेरा होने को है.....
ऐ पथिक अब तू देर न कर
थाम हाथ अपनी डगर का
बढ़ा कदम एक हौसले का
रात कितनी भी लम्बी क्यों न हो
वो सबेरा रोक पाती नहीं
सूरज कितना भी अलसाया क्यों न हो
वो आकाश का आंचल छोड़ पाता नहीं
ऐ पथिक अब तू देर न कर
थाम हाथ अपनी डगर का
बढ़ा कदम एक हौसले का
तू रुकना नहीं, थमना नहीं
जबतक मंजिल न आए कहीं टिकना नहीं....
इस जीवन - डगर में कौन पूछे कि तूने क्या खोया
सब पूछें कि तूने क्या पाया
लक्ष्य दूर है , सही..
सफ़र मुश्किलों भरा , सही..
मगर , ऐ पथिक अब तू देर न कर
खोने - पाने के उत्तर की परवाह भी न कर
पर खुद से नज़र कभी न चुरा
खुद को बता कि तूने वो पाया जो पाने आया था?
ये न कह कि तूने क्या खोया....
क्योंकि कोई न पूछे कि तूने क्या खोया
सब पूछें की तूने क्या पाया....
सफ़र मुश्किलों भरा
साथी सर्प-डंक सा..
ऐ पथिक तू अकेला ही चल
तू मालिक अपने मन का
तू राही अपनी डगर का
कौन जाने पत्थर में राम है या नहीं
तू विधाता अपनी किस्मत का
कर यकीं खुद पे ज़रा
हौसला कर अकेले बढ़ने का
बस साथ हो तेरे एक कदम से दूसरे कदम का
बढ़ चल ज़रा , अब रुक नहीं
ऐ पथिक अब तू देर न कर...........
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