अजनबी
हर बार मुझे अजनबी से लगते हो तुम
परिचित हो पर अपरिचित की तरह मिलते हो तुम
मेरी रूह को महसूस होते हो तुम
फिर क्यों दिल की सरहदों से दूर लगते हो तुम
मेरे जीवन का साहिल हो तुम
फिर क्यों समन्दर की गहराई लगते हो तुम
इतने करीब होकर भी क्यों दूर लगते हो तुम
मेरी जिन्दगी का हर जवाब हो तुम
फिर क्यों एक सवाल लगते हो तुम....
हर बार मुझे अजनबी से लगते हो तुम
परिचित हो पर अपरिचित की तरह मिलते हो तुम
मेरी रूह को महसूस होते हो तुम
फिर क्यों दिल की सरहदों से दूर लगते हो तुम
मेरे जीवन का साहिल हो तुम
फिर क्यों समन्दर की गहराई लगते हो तुम
इतने करीब होकर भी क्यों दूर लगते हो तुम
मेरी जिन्दगी का हर जवाब हो तुम
फिर क्यों एक सवाल लगते हो तुम....
मेरी जिन्दगी का हर जवाब हो तुम
ReplyDeleteफिर क्यों एक सवाल लगते हो तुम....
Wah kya baat..Bahot achhe.
thanks for reading this..
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