Saturday, August 3, 2013

हम रहें न रहें

कल हम रहें न रहें पर हम होंगे….  
कल मेरे कुछ शब्द किसी की भाषा में होंगे
कल मेरे कुछ सपने किसी की आँखों में होंगे
कल मेरे पंख किसी की उड़ान के साथी होंगे
कल हम किसी की मंजिल की एक ईंट होंगे …
हम साहिल के परिचित नहीं ,
हम तो लहरों के साथी हैं
हम मंजिल को तरसे नहीं ,
हम तो रास्तों के मुसाफिर हैं….
कल हम रहें न रहें पर हम होंगे !!


Sunday, July 28, 2013

दिल एक सादा कागज़ - राही मासूम रज़ा

 दिल एक कागज़ है, जिसपर हमारी अभिव्यक्ति के हर रंग को उड़ेलने की आज़ादी है हमें। ये एक आइना है जो हमें हमारे भूत और वर्तमान का वो चेहरा भी हमें दिखा देता है जो हम औरों को दिखाने की हिम्मत नहीं कर पाते। ऐसे ही राही मासूम रज़ा के इस उपन्यास " दिल एक सादा कागज़ " का एक चरित्र जिसका नाम कभी रफ़्फ़न, कभी सय्यद अली, कभी रफ़्अत  अली तो कभी बागी आज़मी है, जो भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के त्रिकोड़ में घूमता है हालांकि वो भारत के बहार कभी नहीं गया लेकिन पाकिस्तान के निर्माड़ और बांग्लादेश की नवनिर्मित सुरक्षासीमाओं ने उसके दिल के सादे कागज़ पर बहुत कुछ लिखा। इन देशों के निर्माड़ के कारड़ परिवारजनों के स्थानान्तरड़ से रफ़्फ़न अपने घर 'जैदी विला' से दूर तो हो गया था पर उसके दिल का आइना जिन्दगी के हर मोड़ पर उसे 'जैदी विला' की झलक दिखाता रहता था. उसके पास कहने को बहुत कुछ था पर सुनने वाला कोई नहीं था, जो थी ( उसकी भाभी, उसके बचपन का प्यार, उसकी  'जन्नत आपा ' ) वो अपने शौहर यानि रफ़्फ़न के बड़े भाई के साथ पाकिस्तान जा चुकी थी. अब उसके दिल का सादा कागज़ ही था जिसपर वो अपने अनकहे शब्द लिख सकता था, जिन्हें कभी - कभी कहने की गुस्ताख़ी उसकी ज़बान कर ही देती थी और उसकी ज़बान की इन्ही हरकतों ने उसे शायर बना दिया था.
             इस नौजवान शायर पर हज़ारों लड़कियां मर मिटने को तैयार थीं और इनमे से एक थी, 'जन्नत'. ये वो जन्नत नहीं थी जो उम्र में उससे बड़ी थी, उसकी बाजी थी और उसकी भाभी थी और  वो उससे तबसे प्यार करता था जब वो प्यार के मायने भी नहीं जनता था बल्कि ये वो जन्नत थी जो उम्र में उससे छोटी थी, उससे बहुत प्यार करती थी और एक I. A. S. आफ़िसर की बेगम बनने वाली थी. इस नई जन्नत का निकाह मशहूर शायर बागी आज़मी से तो हुआ पर बाद में उसे ये  अहसास हुआ कि ये जैदी विला का रफ़्फ़न या मशहूर शायर बागी आज़मी नहीं बल्कि जिन्दगी के हालातों से जूझता एक मामूली स्कूल - टीचर है, जो बाद में अपने फन और हालातों की ज़रूरत में से किसी एक को चुनने की घड़ी में अपने फन को अलविदा कह फिल्मों की जगमगाती दुनिया में कहीं खो जाता है.
           रफ़्फ़न की जिंदगी में कई औरतें आईं पर उसकी ज़िन्दगी में दो ही जन्नत हैं एक वो जिसपर वो मर मिटा था और एक वो जो उसपर मर मिटी थी. राही मासूम रज़ा ने बड़ी संजीदगी से रफ़्फ़न के दिल के सादे कागज़ पर रिश्ते, प्यार, राजनीती, समाज और ज़रूरत, इन कई भाषाओँ के शब्दों को एक ही भाषा के शब्दों में लिख उस सादे कागज़ पर हर एक आम आदमी की झलक दिखाई है.     

Sunday, May 19, 2013

मैं मुझ सी नहीं

मैं मुझ सी नहीं , मैं सब सी नहीं 
मैं हूँ ही नहीं , या दिखती नहीं 
एक डाल का टूटा पत्ता हूँ या सागर से बिछड़ी लहर हूँ मैं 
कागज़ की नाव हूँ या टूटी सी पतवार हूँ मैं ....
समय - भंवर में उलझी हूँ और अपनों से ही बिछड़ी हूँ 
ख़ोज रही हूँ कुछ, इस समय - काल की पर्तों में ..
ख़फा हूँ मैं सबसे या ख़फा है जग मुझसे ..
कोई भूल नहीं एक पहल हूँ मैं 
जीवन के पर्याय बदलने को अटल हूँ मैं 
रुक जाऊं नहीं, थम जाऊं नहीं
सही गलत के फेरों में पड़ जाऊं नहीं 
धूल में उड़ता एक तिनका हूँ  
मुरझाई सी डाली की नई कोपल हूँ मैं 
ढूंढ़ रही हूँ कुछ जवाब 
ढूंढ़ रही हूँ कई बातों के सच ..
एक नई सुबह से मिलना है 
हर बात का मतलब सुनना है 
अब कल्पनाओं और कविताओं में नहीं ,
हकीकत में कहीं एक बार रूबरू होना है !!

Saturday, May 4, 2013

who..you or me

when you are stranger,
you seem to be interesting
when you are known,
you sound common
when you are my closed one,
you are being judged by my intelligence
when you become a soul of mine,
I get bore of you....
It is me, who can't sustain too much of you,
or it is you, whom 'too much' is unbearable for me !!

Friday, April 19, 2013

lyrics

तेरा वो, उँगली पकड़ के चलना
तेरा वो, बाहों में मुझको भरना
तेरा वो, मेरे कुछ न बोले भी सबकुछ समझना
oh ho ho ho ho
oh mother, you are great
oh mother, you are my world
याद है मुझे अब भी ..
वो स्कूल का पहला दिन , पहला boards exam,
पहला इंटरव्यू , वो पहला बोनस और पहला promotion ..
मेरी खुशियों में दोस्त बनी तुम,
और मुश्किलों में साथी ....
oh ho ho ho ho
oh mother, you are great
oh mother, you are my world
उम्र की सीढ़ी ने मुझे तेरी उंगली से तेरे कन्धे तक पहुँचाया,
इस सीढ़ी के हर कदम पर तू हमकदम थी मेरी माँ ,
मैं हर पल ये चाहूँ , कुछ तो कर पाऊं मैं भी तेरी खातिर माँ ..
oh ho ho ho ho
oh mother, you are great
oh mother, you are my world.

Monday, March 25, 2013

o mother, you are great

तेरा वो उँगली पकड़ के चलना
तेरा वो बाहों में मुझको भरना
तेरा वो लोरी गाके सुलाना
o mother, you are great
o mother, you are my love
पलकों में सपने ,
कदमों में हौसले ,
सिखाया तुमने मंज़िल को पाना
राहों में बढ़ना ,
गिरके संभलना ....तुमने सिखाया
o mother , you are great
o mother, you are my love
 सपनों की डोरी से सच की हथेली पे
तुमने पहुचाया ,
मुश्किल घड़ी में साथ बनी तुम ,
पर अपनी जरुरत पे ,
मुझे कभी भी न बुलाया
o mother, you are great
o mother, you are my love..

Monday, March 11, 2013

मिले थे जब तुमसे

हम मिले थे जब तुमसे
एक बार जिया था बचपन फिर से
एक बार तोड़े थे नियम बिना डर के
एक बार कहे थे दिल के सब अरमान
एक बार घर की इज्जत के लिफ़ाफे से हौले से निकल,
टहल आये थे दुनिया की बदनाम गलियों में
एक बार सोये सपनों का माथा धीरे से थपथपा ,
उन्हें फिर से जगाने की कोशिश की थी
एक बार ढलके हुये आँचल को सरक जाने दिया था ,
और बहती हवा की ओढनी ओढ़ी थी
एक बार पाँव की पाज़ेब निकाल ,
किसी को खुद के आने की भनक न होने दी थी
हम मिले थे जब तुमसे ,
एक बार फिर , इन साँसों को मेरे जिस्म में आने की
वजह याद आई थी !!