Monday, March 11, 2013

मिले थे जब तुमसे

हम मिले थे जब तुमसे
एक बार जिया था बचपन फिर से
एक बार तोड़े थे नियम बिना डर के
एक बार कहे थे दिल के सब अरमान
एक बार घर की इज्जत के लिफ़ाफे से हौले से निकल,
टहल आये थे दुनिया की बदनाम गलियों में
एक बार सोये सपनों का माथा धीरे से थपथपा ,
उन्हें फिर से जगाने की कोशिश की थी
एक बार ढलके हुये आँचल को सरक जाने दिया था ,
और बहती हवा की ओढनी ओढ़ी थी
एक बार पाँव की पाज़ेब निकाल ,
किसी को खुद के आने की भनक न होने दी थी
हम मिले थे जब तुमसे ,
एक बार फिर , इन साँसों को मेरे जिस्म में आने की
वजह याद आई थी !!

No comments:

Post a Comment