Tuesday, November 6, 2012

पुराने जूते

आज पुराने जूतों में पांव डाला
तब फिर से अहसास हुआ
उस गीली मिट्टी का ,
जिसमें सनी थीं कुछ पिछली यादें ....
उस मिट्टी में कुछ कंकड़ भी थे ,
जिनकी चुभन अब इतनी तकलीफ न दे रही थी .
क्योंकि अब ये चुभन भी अपनी सी लगती है ..
इस आज में तो अब परिचित चुभन भी न रही ..
अब लगता है ..
वो 'कल ' इतने भी बुरे न थे
जब हम उनसे जुदा न थे ..
आज आये हैं 'आज' में
तब समझे हैं कीमत उनकी ....

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