Thursday, May 15, 2014

निन्ना रानी

निन्ना रानी आ जा
मुझको तू सुला जा
टिक - टिक करती घड़ी निहारूँ
तेरा हाथ पकड़ के तुझे पुकारूँ
अब तो तू आ जा...
भोर - पहर तक ये बादल गरजें
मेरे नन्हें मन को डरायें
तू आके कस ले मुझको अपनी बाहों में
कि फिर न देखूँ मैं चाँद के दाग कोई.…
तू लोरी गाके सुनाती है
तू माँ बनके मुझको सहलाती है
तू कागज़ की एक नांव सही
पर रात की गलियों में साथ निभा
सुबहा तक मुझको पहुंचाती है
तेरे आँचल के नीचे बैठ
मैं भूलूँ दिन भर की थकान
निन्ना रानी अब तो आ जा…
मैं न चाहूँ कोई राजकुमार
तू बस सपनों की सौगात संग में लाये…
 मैं न चाहूँ तू अपने संग
अगले दिन की खुशियों की झलकी लाये…
तू बस आ जा ठण्डी हवा के झोंके लेके,
जिन्हें तू मेरे नंगे पैरों पे उढ़ा जा…
निन्ना रानी आ जा
मुझको तू सुला जा ……

Monday, May 5, 2014

तेरी साँसें बन जाऊँ

इंतज़ार है उस दिन का
जब कोई ढूँढ़ेगा मुझे
तो पायेगा तुझमें,
जब कोई देखेगा मुझे
तो नज़र आओगे तुम
वो दिन एक बार तो आये,
जब मैं होके भी न रहूँ,
जब मैं ढूंढने से भी न मिलूँ,
जब तैयारियाँ करूँ मैं उस जश्न की
जो मेरे गुम हो जाने के नाम पे मने
जब मेरे बिना मेरे अपनों का काफ़िला चले
जब मैं माटी की एक बुत नहीं
तुझमें पहुँचती तेरी साँसें बन जाऊँ !!

Thursday, May 1, 2014

ये वक्त

अपने कंधों पे यादों की गठरी लिये
बढ़ रहा है ये वक्त एक अनजान डगर की ओर
हल्के से मेरा हाथ थामे, मेरे कदमों को राह दिखाता
चल रहा है संग - संग मेरे
हर ओर देखता , न जाने क्या सोचता
कभी - कभी गठरी से कुछ यादें निकाल मुझे दीखाता ,
मुस्कुराता, कुछ कहता भी
अपने आँसू मुझसे छिपाता पर रुकता नहीं,
और मैं रुक जाऊँ न कहीं,
इसलिये मेरे हाथ और मजबूती से थाम लेता !!