इन आँखों ने कई शहर देखे हैं
कई रस्ते मेरे क़दमों से तेज रफ़्तार में नापे हैं इन्होंने
कई लफ्ज़ों के असर से ये डबडबाई भी हैं
कई बार पूरी रात जागी हैं ये आँखें
वैसे मौके तो कई थे मुस्कुराने के ,
पर उन मौकों पे गैर बन जाती थीं ये आँखें !
कई रस्ते मेरे क़दमों से तेज रफ़्तार में नापे हैं इन्होंने
कई लफ्ज़ों के असर से ये डबडबाई भी हैं
कई बार पूरी रात जागी हैं ये आँखें
वैसे मौके तो कई थे मुस्कुराने के ,
पर उन मौकों पे गैर बन जाती थीं ये आँखें !