Monday, September 15, 2014

बचपन

कल मेरा बचपन एक बार फिरसे मिला मुझसे
बढ़ी उम्र ने समझदारी सौगात में दी
लेकिन मासूमियत मुझसे वापस ले ली...
चेहरे पे खूबसूरती ने जगह ली ,
पर भोलापन कहीं खो गया …
बचपन की शरारतों को मेरी नासमझी के नाम पर माफ़ी मिली…
बचपन में जो बहुत ख़ास था ,
कल वो बड़ा साधाराड सा लगा…
मेरा बचपन कल बस कुछ क़दमों की दूरी पर था ,
पर अब उसका हाथ पकड़ कर गलियों में घूम आना मुमकिन नहीं था ,
क्योंकि अब दुनिया के बही - खाते में मेरे हर कदम का हिसाब जो रखा जाने लगा है !!