Sunday, July 28, 2013

दिल एक सादा कागज़ - राही मासूम रज़ा

 दिल एक कागज़ है, जिसपर हमारी अभिव्यक्ति के हर रंग को उड़ेलने की आज़ादी है हमें। ये एक आइना है जो हमें हमारे भूत और वर्तमान का वो चेहरा भी हमें दिखा देता है जो हम औरों को दिखाने की हिम्मत नहीं कर पाते। ऐसे ही राही मासूम रज़ा के इस उपन्यास " दिल एक सादा कागज़ " का एक चरित्र जिसका नाम कभी रफ़्फ़न, कभी सय्यद अली, कभी रफ़्अत  अली तो कभी बागी आज़मी है, जो भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के त्रिकोड़ में घूमता है हालांकि वो भारत के बहार कभी नहीं गया लेकिन पाकिस्तान के निर्माड़ और बांग्लादेश की नवनिर्मित सुरक्षासीमाओं ने उसके दिल के सादे कागज़ पर बहुत कुछ लिखा। इन देशों के निर्माड़ के कारड़ परिवारजनों के स्थानान्तरड़ से रफ़्फ़न अपने घर 'जैदी विला' से दूर तो हो गया था पर उसके दिल का आइना जिन्दगी के हर मोड़ पर उसे 'जैदी विला' की झलक दिखाता रहता था. उसके पास कहने को बहुत कुछ था पर सुनने वाला कोई नहीं था, जो थी ( उसकी भाभी, उसके बचपन का प्यार, उसकी  'जन्नत आपा ' ) वो अपने शौहर यानि रफ़्फ़न के बड़े भाई के साथ पाकिस्तान जा चुकी थी. अब उसके दिल का सादा कागज़ ही था जिसपर वो अपने अनकहे शब्द लिख सकता था, जिन्हें कभी - कभी कहने की गुस्ताख़ी उसकी ज़बान कर ही देती थी और उसकी ज़बान की इन्ही हरकतों ने उसे शायर बना दिया था.
             इस नौजवान शायर पर हज़ारों लड़कियां मर मिटने को तैयार थीं और इनमे से एक थी, 'जन्नत'. ये वो जन्नत नहीं थी जो उम्र में उससे बड़ी थी, उसकी बाजी थी और उसकी भाभी थी और  वो उससे तबसे प्यार करता था जब वो प्यार के मायने भी नहीं जनता था बल्कि ये वो जन्नत थी जो उम्र में उससे छोटी थी, उससे बहुत प्यार करती थी और एक I. A. S. आफ़िसर की बेगम बनने वाली थी. इस नई जन्नत का निकाह मशहूर शायर बागी आज़मी से तो हुआ पर बाद में उसे ये  अहसास हुआ कि ये जैदी विला का रफ़्फ़न या मशहूर शायर बागी आज़मी नहीं बल्कि जिन्दगी के हालातों से जूझता एक मामूली स्कूल - टीचर है, जो बाद में अपने फन और हालातों की ज़रूरत में से किसी एक को चुनने की घड़ी में अपने फन को अलविदा कह फिल्मों की जगमगाती दुनिया में कहीं खो जाता है.
           रफ़्फ़न की जिंदगी में कई औरतें आईं पर उसकी ज़िन्दगी में दो ही जन्नत हैं एक वो जिसपर वो मर मिटा था और एक वो जो उसपर मर मिटी थी. राही मासूम रज़ा ने बड़ी संजीदगी से रफ़्फ़न के दिल के सादे कागज़ पर रिश्ते, प्यार, राजनीती, समाज और ज़रूरत, इन कई भाषाओँ के शब्दों को एक ही भाषा के शब्दों में लिख उस सादे कागज़ पर हर एक आम आदमी की झलक दिखाई है.